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इतिहास

पांढुर्णा, मध्यप्रदेश राज्य का 55 वां एवं जबलपुर संभाग का 9 वां जिला हैं, जो छिंदवाडा जिले से वर्ष 2023 में अलग होकर अस्तित्व में आया | जिसका क्षेत्रफल 1522.22  वर्ग कि.मी. है। यह क्रमशः दक्षिण -पूर्व  मे नागपुर, पश्चिम में बैतुल एवं अमरावती और उत्तर मे छिंदवाडा जिलों से घिरा है।

 

चमत्कारी जामसांवली हनुमान मंदिर पांढुरना से करीब 25 km की दूरी पर है वही, नागपुर से लगभग 65 km दूरी पर स्थित है। शासकीय दस्तावेजों के अनुसार जमसावली मंदिर करीब 100 वर्षो पुराना है। यहां सबसे अधिक श्रद्धालु मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से पहुंचते हैं। जामसवली मंदिर की एक और खास बात ये भी है कि यहां हनुमान जी की मूर्ति की नाभि से जल निकलता है। भक्त इसे प्रसाद के रूप में लेते हैं। और इस मंदिर की मान्यता है कि यहां मानसिक स्थिति से पीड़ित लोगो को पवित्र जल से सुधार मिलता है।

पांढुरना का गोटमार मेला पांढुरना शहर में “गोटमार मेला” हर वर्ष पोला पर्व के दूसरे दिन भाद्रपद ‘अमावस्या को मनाया जाता है। यह मेला ‘जाम’ नदी के तट पर मनाया जाता है। एक पलाश रूपी पेड़ के झंडे को जाम नदी के बीच लगाया जाता है और मेला संपन्न होने पर इस पलाश रूपी झंडे को मां चंडिका के मंदिर में अर्पण किया जाता है। इस मेले की आराध्य देवी मां चंडिका है जो शहर के मध्य में पुरातन से स्थापित है।

अर्द्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग, मोहगाँव हवेली मध्यप्रदेश में महाकालेश्वर और ओमकारेश्वर दो ज्योतिर्लिंग के साथ ही तीसरा अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग भी हैं। यह तीसरा ज्योतिर्लिंग पांढुरना जिले के सौंसर तहसील से 5 km की दूरी पर मोहगांव में स्थित है। पुराणों के आधार पर इस ज्योतिर्लिंग को साढ़े बारहवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। मोहगांव हवेली में अर्धनारीश्वर का अद्भुत मंदिर स्थित है। यहां भगवान भोलेनाथ अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में विराजमान हैं। जो सकल कामनाओं की पूर्ति करते है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित यह स्थल चार धाम, बारह ज्योतिर्लिंग तथा त्रिपुर सुंदरी के केन्द्र बिन्दु पर स्थित है। पुरातन काल से इस मंदिर की निर्माण संरचना एवं वास्तुकला महामृत्युंजय यंत्र आधारित है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के श्रद्धालु बड़ी संख्या में इस मंदिर में पहुंचते है।